स्वयं से पुनर्मिलन
जब सारी कायनात निशा की आगोश में खो जाती है तब इस एहसास का इक नया अक्स सामने लाती है ये निस्तभ्ध मौन भी हर किसी को नहीं रास आता कोई विरला ही इसकी अदम्य शक्ति है झेल पाता अपने भीतर के शोर के जब पार उतर जायोगे अपने को ही उस पार भी खड़ा तुम […]