जब भी करनी तो प्रार्थना और माँगना हो प्रभु से कुछ वरदान
तो यही मांगो की कुछ भी समस्या आये, कभी भंग ना हो मान
मान और अहंकार में है बहुत अंतर, अभिमान जाये तो जाये
परन्तु मान की हानि न हो कभी, जो की प्राण देकर भी न पाए
हे प्रभु ये मस्तक झुके तो केवल आपके दर पे वर्ना न झुके ये सीस
यही इक दुआ है जो तुम करना कबूल, दो केवल इतनी सी असीस
इसी आशीर्वाद में सब है निहित, सारे जीवन का है इसमें सार
एक बार नहीं, यही उत्तर देंगे, पूछोगे यदि तुम बार बार बारम्बार
औरों के लिए तो कुछ भी मांगो जिस से हो जाए उनका भला
पर अपने लिए केवल इतना ही मांगो, यही बोलके राही चला