अब तो चले आयो राम

ये कोई कौन गुमनाम सा है कहीं अन्दर गहरे जिसपे न जाने बाहर आने पर कितने हैं पहरे कभी सुनसान पहरों में इक तीखा होता है एहसास सब कुछ होने के बाद भी कहीं तो है कोई प्यास सारी कायनात में कहीं तो वो शह होगी या अल्लाह जो सब कामनायों का कर दे अंत […]